Time Travel is Possible: नमस्कार दोस्तों टाइम ट्रैवल यह एक ऐसी घटना है जिसमें लोग एक दुनिया से दूसरी दुनिया में वर्तमान समय से आगे या पीछे जाने जैसी चीजों के बारे में कल्पना करते हैं। जब भी कहीं टाइम ट्रेवल की घटना या खबरें लोग सुनते हैं उनके मन में इसे अच्छे से जानने की जिज्ञासा बढ़ जाती है। हमने टाइम ट्रेवल के हजारों कहानियां सुनी है लेकिन फिर भी यह सवाल घूमता ही रहता है कि क्या टाइम ट्रेवल सच में संभव है।
अगर आप टाइम ट्रेवल जैसे घटना ऑन पर आधारित कहानी सुनने में दिलचस्पी रखते हैं। या टाइम ट्रेवल सच में संभव है या नहीं यह जानना चाहते हैं तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए है। आज के इस आर्टिकल में टाइम ट्रेवल पर आधारित घटनाओं और क्या Time Travel is Possible इस प्रश्न के भी अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।
टाइम ट्रैवल शब्द कहां से आया
बात सन 1895 की है इंग्लैंड के मशहूर लेखक हार्डवेयर जॉर्ज वेल्स ने द टाइम ट्रेवल नाम की एक बुक पब्लिश की। आपको जानकर हैरानी होगी थी ये पहली बार था की टाइम ट्रैवल शब्द लोगों ने सुना था। उससे पहले टाइम ट्रैवल जैसे शब्द या घटनाओं के बारे में कोई जिक्र भी नहीं किया करता था। जैसे ही यह बुक पब्लिश हुई पूरे यूरोप को हिला कर रख दिया लोग इसके बारे में जाने को इच्छुक होने लगे।
बुक के अनुसार वेल्स ने टाइम मशीन के एक अद्भुत कल्पना की जिसमें बताया गया कि एक मशीन है जिसमें कुछ रंग-बिरंगे जलते-बुझते बॉल लगे हुए हैं। और एक डायल लगा हुआ है उस मशीन में बैठने वाला व्यक्ति समय की एक डायल सेट करता है और कुछ बटन दबाता है। और कुछ ही समय बाद वह व्यक्ति खुद को समय के हजारों वर्ष बाद पता है।
लेकिन यह एक बस कहानी है जिसने महान साइंटिस्ट को अपनी और आकर्षित किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कहानी पर भविष्य में ढेरों उपन्यास लिखे गए और हॉलीवुड तथा बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में फिल्में भी बनाई गई। लेकिन यह कहानी और फिल्में वेल्स के लिखे उपन्यास पर ही आधारित है असल जिंदगी में टाइम मशीन बनना असंभव जैसा ही है।
टाइम ट्रेवल पर साइंटिस्टों की राए
टाइम ट्रेवल यानी कि इस समय यात्रा यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके जवाब ढूंढने के लिए कोई बड़े महान साइंटिस्टों नहीं रिसर्च किया। इनमें से दो महान साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन और न्यूटन के का टाइम ट्रेवल के बारे में क्या मानना था आईए जानते है।
टाइम ट्रेवल का न्यूटन की राएं
सबसे पहले न्यूटन के थ्योरी को समझते हैं। जब न्यूटन टाइम ट्रेवल की घटना के बारे में सुन तब उन्होंने इस पर रिसर्च करने के बाद बताया क्यों टाइम एक तीर के समान है जो एक बार कमान से निकल जाए तो वह सीधा चलता ही जाएगा। यानी कि टाइम में पीछे आना संभव नहीं है लेकिन आगे जाना संभव है। ऐसे ही एक रिसर्च के अनुसार न्यूटन का मानना है कि पृथ्वी और मंगल ग्रह पर सामान एक समान ही है।
लेकिन सवाल यह है कि अगर ऐसा है तो पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे का जबकि बृहस्पति पर एक दिन 10 घंटे का कैसे है। यहां पर न्यूटन रुक जाते हैं। क्योंकि उनकी थ्योरी के अनुसार पृथ्वी और ब्रह्मांड में समय एक ही चाल से चल रहा है जबकि न्यूटन के अनुसार ऐसा नहीं है।
टाइम ट्रेवल का अल्बर्ट आइंस्टीन
समय में आगे आए तो टाइम टेबल ने अल्बर्ट आइंस्टीन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। काफी रिसर्च के बाद उनकी सिर्फ एक अवधारणा से इस घटना के जड़ तक को हिला दिया। हम बात कर रहे हैं आइंस्टीन के सापेक्षता बाद के सिद्धांत (theory of relativity)। आइंस्टीन के सापेक्षता बाद के सिद्धांत के अनुसार समय गति और गुरुत्व के सापेक्ष हैं। इसका मतलब यह है कि गति को कम या अधिक करने पर इसका प्रभाव समय पर भी पड़ेगा। अर्थात ब्रह्मांड के अलग-अलग हिस्सों में सामान एक चाल से नहीं चल रहा है। यानी कि पृथ्वी पर एक सेकंड मंगल पर एक सेकंड के बराबर नहीं है।
टाइम ट्रेवल जैसी घटना का विवरण
ऐसी घटनाओं का जिक्र भारत के पुरानी ग्रंथों में भी शामिल है। महाभारत की एक घटना जो राजा काकोदवी जिन्हें रेवत के नाम से भी जाना जाता है। बात है उसे समय के जब उनकी पुत्री शादी योग्य हो गई और वह अपनी पुत्री की शादी के लिए व की तलाश कर रहे थे। तब उन्हें पूरे पृथ्वी पर अपनी पुत्री के योग्य एक भी बार नहीं मिला तो वह इसके लिए ब्रह्मा जी के पास गये। वहां उन्हें गेट पर कुछ समय प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया।
जब कुछ समय प्रतीक्षा करने के बाद उन्होंने ब्रह्मा जी से अपनी पुत्री की शादी के लिए उपयुक्त वर के बारे में कहा तब ब्रह्मा जी का जवाब सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। ब्रह्मा जी ने कहा कि जब तुम कुछ समय के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे और जो समय तुमने यहां व्यतीत किया या यहां पर काफी छोटा लगा लेकिन पृथ्वी पर कई योग बीत गए। और जिन वरों की तुम बात कर रहे हो उनके अब पुत्र पुत्र भी जीवित नहीं है।
ऐसे ही एक घटना एक मछुआरे के साथ घटी जिसका नाम था उरा सीमा तारो यह मछली मारने के लिए समुद्र में तीन दिन के लिए जाता है। लेकिन जो वह तीन दिन बाद समुद्र से बाहर निकलता है तो लगभग 300 साल बीत चुके थे। वापस आकर जब उसने खुद को भविष्य में देखा तो वह काफी असर हुआ है जहां उसका घर था और वहां पर कुछ भी नहीं था उसके परिवार कब के खत्म हो चुके थे।
अब सवाल यह है की इन कहानियों में जिन लोगों के लिए समय इतनी तेजी से बिता है वह इतने समय के लिए जीवित कैसे रह पाए। यहां तक की कोई ऐसी ऋषि मुनि है जो सतयुग में भी थे, त्रेता युग में भी थे और दो पर युग में भी थे। तो क्या इसका मतलब यह है कि यह लोग टाइम ट्रेवल कर समय-समय पर युग में आ जाते थे।
शायद ऐसा ही है क्योंकि हमारे समय की अवधारणा पृथ्वी के मान के अनुसार हैं लेकिन जैसे ही हम अंतरिक्ष में जाते हैं हमारा समय बदल जाता है। जैसे कि जिन ऋषि मुनि के लिए कुछ समय ब्रह्मांड में पृथ्वी पर एक युग के बराबर था वैसे ही बुधवार उतना ही समय चार युग के बराबर रहा होगा। क्योंकि पृथ्वी पर 1 वर्ष 88 दिन का ही होता है।
अल्बर्ट आइंस्टीन के थ्योरी के अनुसार समय और अंतरिक्ष दोनों एक ही है। और दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जिसे स्पेस टाइम कहते हैं। टाइम ट्रेवल जैसी घटना और आपके सवाल Time Travel is Possible को नजदीक से समझने के लिए आपको स्पेस टाइम को समझना होगा।
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