Space Time Vs Time Travel: टाइम ट्रेवल का स्पेस टाइम से संबंध

Space Time Vs Time Travel: समय यात्रा एक ऐसी घटना का कल्पना करना जिसमें अपने आने वाले समय में घटने वाली घटना और भूतकाल में घाटे घटनाओं को देखना है। टाइम ट्रैवल जैसे घटना को जन्म देती है स्पेस टाइम। स्पेस में समय की चल और गति से घटने वाली घटना टाइम ट्रेवल को कुछ हद तक सुलझाती है। जिससे हमें प्रतीत होता है कि भविष्य में हम एक ऐसी मशीन बना लेंगे जो स्पेस टाइम की तरह काम करेगी। सबसे पहले जानते हैं कि स्पेस टाइम क्या है?

स्पेस टाइम क्या है?

अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार पृथ्वी पर का समय ब्रह्मांड के समय के समान नहीं है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति पृथ्वी छोड़कर ब्रह्मांड में जाता है तो उसका समय ब्रह्मांड में चल रहे समय के अनुसार चलेगा। ब्रह्मांड में कोई भी वस्तु चल रही है तो उसके गति की एक सीमा है जिसे प्रकाश की चाल यानी की 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड कहते हैं।

अगर आप टाइम ट्रेवल के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं तो आपको हमारा “Time Travel is Possible : क्या टाइम ट्रेवल संभव है आईए जानते हैं” आर्टिकल पढ़ना चाहिए। इसमें हमने टाइम टेबल शब्द की उत्पत्ति और महान साइंटिस्ट न्यूटन और अल्बर्ट आइंस्टीन का टाइम ट्रेवल के बारे में क्या राय है के बारे में बताया है।

ग्रहों की गति और समय

हमारे सौरमंडल मिल्की वे में आठ ग्रह है और इन आठों ग्रह के चल और गति अलग-अलग है। हमारी पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर एक बार घूमती है तथा 365.26 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। लेकिन बुध अपने अक्ष पर 38.6 दिन में एक बार घूमती है। और सूर्य का एक चक्कर 88 दिन में पूरा करती है। ऐसे नहीं हम बात करें सूर्य से दूर ग्रह बृहस्पति की तो अपने अक्ष पर 10 घंटे में और सूर्य का एक चक्कर लगभग 12 वर्ष में पूरा करता है। अगर तीनों ग्रहों से कंपेयर करें तो पृथ्वी के गति की तुलना में बुद्ध की गति और समय काम है जबकि बृहस्पति के अधिक है।

इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं अगर पृथ्वी से किसी व्यक्ति को बुध ग्रह पर छोड़ दिया जाए तो पृथ्वी पर के समय के अनुसार बुद्ध पर एक दिन 398 दिन का होंगा। पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे का होता है जबकि बुद्ध पर 38 दिन का इसका अर्थ यह है कि बुद्ध पर समय धीमा चल रहा है। ऐसे ही साल को देख तो पृथ्वी पर 1 साल 365 दिन का जबकि बुद्ध पर 88 दिन का ही होता है। यानी कि पृथ्वी का एक साल बुद्ध के 4 साल के बराबर है।

ऐसे ही अगर हम किसी व्यक्ति को बृहस्पति पर भेजे तो पृथ्वी के तुलना में बृहस्पति पर समय काफी तेजी से बितता है। पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे का जबकि बृहस्पति 10 घंटे का होता है। यानी की पृथ्वी पर 1 दिन बीतेगा तब तक बृहस्पति पर दो दिन से अधिक बीत जाएगा।

ब्रह्मांड में समय का प्रभाव

लेकिन सोचने वाला बात यह है कि क्या जो लोग इन ग्रह पर समय व्यतीत करेंगे और वापस पृथ्वी पर आएंगे तो क्या उनके लिए या दुनिया नया होगा क्या इससे उनकी आयु और समय में बदलाव होगा। इसका उत्तर है हां लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इस टाइम ट्रैरेवल में उनके आयु पर प्रभाव पड़ेगा क्या उनका शरीर उसे ग्रह के समय के अनुसार काम किया होगा।

इसे हम एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं जब कोई व्यक्ति प्रकाश की गति या उसके आसपास की गति प्राप्त कर ले तो उसने जिन लोगों को पृथ्वी पर छोड़ दिया उनके तुलना में आपकी समय की गति धीमी हो जाएगी और आप इस समय को पृथ्वी पर आए बिना महसूस नहीं कर सकते। और आप प्रकाश गति की तुलना में 99.5 गति से ब्रह्मांड में चले जाते हैं। आपने उस यात्रा के दौरान अपना पांच जन्मदिन सेलिब्रेट किया। यानी कि अपने अंतरिक्ष में अपने 5 साल बिताए 5 साल के बाद आप 20 साल की आयु में अपने घर वापस लौटेंगे और आप देखेंगे कि आपका दोस्त 65 साल के हो गए हैं।

ऐसा होने का में कारण यह है कि आपके लिए अंतरिक्षयान में समय काफी धीमा से बीता जितना समय अपने अंतरिक्ष यान में व्यतीत किया पृथ्वी पर आपके दोस्तों ने उतने ही समय में 50 साल महसूस किया। आपके जो दोस्त 65 साल के हो चुके हैं वह बूढ़े हो गए होंगे उनके बाल भी सफेद हो गए होंगे लेकिन आपके नहीं होंगे ऐसा इसलिए होंगे क्योंकि अपने अंतरिक्ष यान में सफर के दौरान 1 मिनट में 16 बार ही सांस लिए होंगे। जो कि अभी भी हम ले रहे हैं।

हमारी सांसों पर निश्चित है आयु 

क्योंकि जानकर हैरानी होगी कि इसी से ही हमारे शरीर के आयु का निर्धारण होता है जिससे हम शिशु से जवान और जवानी से बुढ़ापे की ओर जाते हैं। यानी कि हमारे साथ से ही हमारे जीवन की आयु और अवस्था को निर्धारित करती है।

जैसे की एक कछुए की आयु 300 से 4 वर्ष होती है क्योंकि वह 1 मिनट में चार बार सांस लेता है। इंसान से चार गुना कम इसीलिए वह इंसानों से चार गुना अधिक जीता है। ऐसे ही अपने अंतरिक्ष में उतना ही सांस ली जितना आपको 5 साल में लेना चाहिए था। क्योंकि आप 5 साल के लिए ही अंतरिक्ष में गए थे इसलिए आपके शरीर में उतना ही बदलाव होगा जितना 5 साल में होना चाहिए था। 

लेकिन आपके दोस्त धरती पर थे आपके मुकाबला उनका समय काफी तेजी से बीत रहा था इसलिए मैं आपसे 45 साल आगे निकल गए। उसी के अनुसार ही उनका शरीर का रचना हुआ।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में आपने समझा कि टाइम ट्रेवल के लिए स्पेस टाइम कितना महत्वपूर्ण है जिसे यह संभव है कि भविष्य में साइंटिस्टों द्वारा टाइम ट्रैवल करने वाली मशीन बनाना संभव हो सकता है। यहां हमने टाइम ट्रैवल पर आधारित कई उदाहरण भी दिए लेकिन आगे आने वाली वीडियो में हम ऐसी घटना के बारे में जानेंगे जो यह साबित करती है कि Time Travel is Impossible है।

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