History of Thomas Alva Edison: दोस्तों जैसे ही शाम होती है और अंधेरा होता है तो हम बल्ब चालू कर देते हैं और उजाला हो जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह बल्ब कैसे बना होगा। आज किस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे साइंटिस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने आपके अंधेरे घर में उजाला लाने के लिए 1000 से भी अधिक बार प्रयास कर बल्ब का आविष्कार किया।
जी हां हम बात करने जा रहे हैं थॉमस अल्वा एडिसन की दुनिया का सबसे मंदबुद्धि बालक माना जाता था। लेकिन उस मंदबुद्धि बालक ने ऐसे ऐसे आविष्कार किए है कि दुनिया के इतिहास को बदल कर रख दिया। पूरी दुनिया में आज जी बल्ब को तरह-तरह से उपयोगकर इस्तेमाल किया जा रहा है उसका शरीर थॉमस अल्वा एडिसन को जाता है। उन्होंने बहुत ही कम समय में 1000 से भी अधिक आविष्कार किए हैं आईए आज किस आर्टिकल में उनके इतिहास को।
History of Thomas Alva Edison
थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1887 को अमेरिका के मिलन आहाओ नमक जाम का पर हुआ था। उनके पिता का नाम सैमुअल ऑक्टेन एडिशन और माता का नाम मैथ्यू नैंसी इलईहआट था। एडमिशन अपने साथ परिवार ऑन में सबसे छोटे थे एडिशन जब थोड़े बड़े हुए तब उनके मां ने उनका एडमिशन पास के ही एक स्कूल में कर दिया।
लेकिन कुछ दिनों के बाद स्कूल से शिकायत या नहीं लगी दरअसल एडिशन स्कूल में शिक्षकों से इतने सवाल पर सवाल पूछा करते थे की शिक्षा के तंग हो जाते थे और उन्हें ऐसा लगता था कि एडिशन काफी शरारती और उद्दंड बच्चा है। घर पर भी उनके शरारती कुछ काम नहीं थे जिससे उनके घर के आसपास के लोग उन्हें मंदबुद्धि बालक समझने लगे। उनके सवाल ही कुछ इस तरह से होते थे कि अगर पंछी हवा में उड़ सकते हैं तो आदमी क्यों नहीं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 5 साल की उम्र में एडमिशन ने इस पर एक एक्सपेरिमेंट किया और कुछ छोटे कीट पतंग को पीसकर गोल बनाकर अपने दोस्त को ही दिल दिया। यह सोचकर कि उनका दोस्त अब हवा में उड़ने लगेगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ लेकिन उनके दोस्त की तबीयत काफी बिगड़ने लगी। इसके वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।
दरअसल थॉमस अल्वा एडिसन बचपन से ही काफी जिज्ञासू थे वह हर चीज के पीछे छुपे राज को जानने की कोशिश करते रहते थे। इसीलिए लोगों ने सनकी और पागल कहां करते थे। फिर एक दिन की बात है वह स्कूल से आए और अपने मन कोई कागज देकर कहा की मां यह स्कूल में टीचर ने दिया है। जब मां ने उसे कागज को देखा तो वह एक चिट्ठी थी जिसे खोलकर पढ़ने के बाद उसके आंख में आंसू आ गए। तब एडिशन ने अपने मन से पूछा है कि आखिर सिटी में क्या लिखा है।
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मां ने कहा कि चिट्ठी में लिखा है कि आपका बेटा काफी होशियार और किसी जीनियस से काम नहीं है और हमारा स्कूल लो लेवल का है जिसमें टीचर भी ट्रेंड नहीं है इसलिए इसे हम अब नहीं पढ़ा सकते आप इसे स्वयं ही शिक्षा दें। उसे समय एडिशन क्या है लगभग 9 वर्ष रही होगी।
तब उनकी माता ने एडिशन को एक प्रारंभिक विज्ञान की पुस्तक दी थी जिसमें बताया गया था कि रसायन विज्ञान के कुछ प्रयोगों को घर पर कैसे करें। 10 साल की उम्र में ही एडिशन ने अपना पहला प्रयोगशाला बना लिया था लेकिन किसी कारणवश उनकी मां ने गुस्सा होकर उनके सभी प्रयोगशाला के चीजों को तोड़ दिया। एडिशन को एक नए प्रयोगशाला बनाने के लिए पैसे की जरूरत थी। पैसे के लिए उन्होंने ट्रेन में टिकट और अखबार बेचना शुरू कर दिया।
ट्रेन में ही उन्होंने अपना एक नया प्रयोगशाला बना लिया लेकिन एक दिन एक रिसर्च के दौरान उनका एक केमिकल गलती से गिर गया जिसके वजह से ट्रेन में आग लग गई। ट्रेन के आगे को तो बुझा दिया गया लेकिन ट्रेन के मालिक ने एडिशन के गाल पर जोरदार थप्पड़ जार्डिया जिससे कि एडिशन के एक कान से सुनाई देना बंद हो गया। इस पर भी एडिशन ने हार नहीं माना और कहा कि अब इन कणों से मुझे लोगों की बुराई सुनाई नहीं देंगे जो काफी अच्छा है।
इसके बाद वह 15 साल की उम्र में ही स्वयं का समाचार पत्र की छपाई और प्रकाशित करने लगे थे और खुद ही अखबारों को ट्रेन में ले जाकर भेजते थे बाकी समय में वह अपने प्रयोगशाला में रिसर्च वगैरा करते रहते थे। और उनका पहला अविष्कार था universal Edison stock printer अब वह रुकने वाले नहीं थे एक के बाद एक नया अविष्कार करते जा रहे थे। उनके विभिन्न आविष्कारों में सबसे बड़ा आविष्कार था इलेक्ट्रिक बल्ब। कारी मेहनत और लगन के दम पर लगभग 32 साल की उम्र में उन्होंने बल्ब का आविष्कार किया।
सन 21 अक्टूबर 1881 को थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का आविष्कार किया जिसे दिनभर जनता छोड़ा गया दूर-दूर से लोग इसे बल्ब को देखने आए थे। एडिशन के इस वाल्व का आविष्कार एक चमत्कार से काम नहीं था लोगों ने इसे पूछा कि आप 10000 से भी अधिक बार फेल होने के बाद भी हर मन बिना कैसे काम करते रहें।
उन्होंने कहा कि मैं 10000 बार असफल नहीं हुआ बल्कि 10000 मैंने ऐसे तरीका ढूंढ निकाले जो काम नहीं आते। उनके सकारात्मक विचार में लोगों के जीवन में एक मिसाल कायम कर दी। किसी भी काम को तब तक करते रहो जब तक परिणाम ना मिले तब तक हर ना मानो जब तक जीत हासिल न कर लो।
वह तो अल्बर्ट आइंस्टीन अब महान वैज्ञानिक बन चुके थे एक दिन अपनी फुर्सत के समय में वह अपने पुराने चीजों को देख रहे थे तभी उन्हें उनकी एक पुरानी चिट्ठी मिली जिस स्कूल के शिक्षक दिया था जिसे मैन पढ़कर बताई थी कि उनका बेटा जीनियस और पढ़ने में सबसे तेज बच्चा है। जब एडिशन उसे खत को उत्सुकतावत खोलकर पड़े तो रोने लगे क्योंकि उसे खत में लिखा था कि आपका बच्चा मेंटली वीक है और कृपया इस स्कूल में ना भेजें।
उसे खुद को पढ़कर थॉमस अल्वा एडिसन काफी रोए और उन्होंने कहा कि एक मेंटली भी बच्चे को एक शशि मां ने दुनिया का सबसे महान साइंटिस्ट बना दिया। दोस्तों अगर आप ऐसे ही मिस्टीरियस कहानी पढ़ना पसंद करते हैं तो आप इसके कैटिगरी को चेक आउट कर सकते हैं। जिसमें हमने मिस्टीरियस और टाइम ट्रेवल कहानियों के बारे में बताया है।