History of Astronomy: खगोल विज्ञान का इतिहास काफी रहस्यमई रहा है। लोग इसे जितना जाने की कोशिश करते रहे हैं यह इतना ही विस्तृत होता रहा है। यही वजह है कि आज तक ब्रह्मांड के रहस्य को पूरी तरह से समझा नहीं गया है। आज भी साइंटिस्टों द्वारा खगोल विज्ञान को असीमित विज्ञान के रूप में माना है जिसका खोज हजारों करोड़ों वर्षों तक चलता रहेगा। जिसका अंत शायद करोड़ों वर्षों में संभव होगा या नहीं इसका पता नहीं।
लेकिन अब तक वैज्ञानिकों द्वारा जो खोज किया गया है और जितना विस्तार किया गया है आज के इस आर्टिकल में हम उन्हें खगोल विज्ञान के इतिहास और रहस्य को समझने की कोशिश करेंगे। यकीन मानिए वैज्ञानिकों के तथ्य और उनके विचार आपको काफी अचंभित करेंगे। ऐतिहासिक खगोल शास्त्रियों द्वारा पृथ्वी से लेकर हमारे सौरमंडल तक बताई गई चीज आपको काफी हैरान कर देगी चलिए जानते हैं।
History of Astronomy: खगोल विज्ञान का इतिहास
बात सन 1929 की है जब कैलिफोर्निया की एक एडमिन हाल नमक वैज्ञानिक ने एक दिन आकाशगंगा के चार तारों को मेजर किया और उनके बीच के डिस्टेंस को मापा। उसके बाद फिर कुछ दिन बाद उन्होंने फिर से उन्हें चारों तारों को मेजर किया और उनके बीच के डिस्टेंस को मापा और यहां उन्हें जो डिफरेंट का पता चला वह काफी हैरान कर देने वाला था। यह डिफरेंट ब्रह्मांड में मौजूद करोड़ राशियों को खोल कर रख दिया। के इतने बड़े ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ होगा, हमारे पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ होगा और पृथ्वी पर जीवन का विस्तार कैसे हुआ होगा?
अगर हम अपने समय से हजारों वर्षों साल पीछे जाए तो लोगों को इस बात से कोई मतलब नहीं था कि आसमान में क्या हो रहा है। सन 1929 से विज्ञान विभिन्न वैज्ञानिकों के पृथ्वी सौरमंडल और ब्रह्मांड को लेकर अलग-अलग अवधारणाएं थी। जैसे कि खगोल शास्त्री अरस्तु ने अपने भु केंद्रीय मॉडल में कहां कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है और सूर्य पृथ्वी का चारों तरफ चक्कर लगाती है। इनके भूख केंद्रीय मॉडल के अनुसार पृथ्वी के सबसे नजदीकी ग्रह चंद्रमा है फिर सूर्य उसके बाद मंगल है। उनका मन था कि सभी ग्रह ठोस और पारदर्शी पदार्थ से बना है।
लेकिन अस्त्रों के भु केंद्रीय मॉडल में एक समस्या थी कि वह पृथ्वी और अन्य ग्रहों के घूमने की दिशा और समय को सही से नहीं समझ पा रहा था जब ग्रहों को सही से अब्जॉर्ब किया गया तो पाया कि सभी ग्रहों के गति एक समान नहीं है। क्यों पृथ्वी पर द्वितीय बदलती रहती है और चंद्रमा एक महीने में क्यों घटता बढ़ता रहता है।
खगोल शास्त्री टाॅलमी का ज्यामितीय मॉडल
सन 1400 ईसा पूर्व में अरस्तु भु केंद्रीय मॉडल को स्टडी कर टाॅलमी ने अपना ज्यामितीय मॉडल तैयार किया जो की अरस्तु के भु केंद्रीय मॉडल के लगभग समान था क्योंकि इनका भी मानना था कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है सूर्य, ग्रह और तारे पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं। लेकिन यहां पर वह ग्रहण की गति को समझने की कोशिश करते हैं जिसमें भी बताते हैं कि सभी ग्रह सूर्य और चंद्रमा अपने एक वृताकार कक्षा में घूमते होंगे। जिसे उन्होंने नाम दिया अधिक चक्र और यह अधिक चक्र एक बड़ी वृत्त में गतिशील है।
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि लगभग 2000 वर्षों तक खगोल शास्त्री अरस्तु और टाॅलमी के दिए भु केंद्रीय मॉडल और ज्यामितीय मॉडल को ही सच माना गया जिसके अनुसार पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है और सभी ग्रह तारे और सूर्य इसका चक्कर लगाते हैं यही सही है।
खगोल शास्त्री और महान गणितज्ञ आर्यभट्ट
लेकिन सन 476 ईस्वी में महान खगोल शास्त्री एवं गणितज्ञ आर्यभट्ट ने वास्तु और टाॅलमी मॉडल को गलत साबित कर दिया और कहा कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है बल्कि सुप्रिया ब्रह्मांड का केंद्र है और पृथ्वी एक ग्रह है जो सूर्य का चक्कर लगाती है। इस समय कुछ लोगों ने कहा कि पृथ्वी चपटी है कुछ लोगों ने कहा कि पृथ्वी सपाट चपटी और डिस्क के जैसा गोल है जिसका प्रमाण उसे समय के पुराने किताबों में देखा जा सकता है।
पाइथागोरस का ब्रह्मांड के बारे में विचार
महान गणितज्ञ पाइथागोरस ने यह बताया कि पृथ्वी पृथ्वी गोल है लेकिन उन्होंने भी यह सिर्फ कल्पना की थी सही से समझा नहीं पाए थे क्योंकि उन्होंने इसको लेकर तीन बड़े स्ट्रांग आर्गुमेंट दिए थे। जिसमें उन्होंने बताया कि समुद्र में जा रही है जहाज की सबसे निचला हिस्सा पहले गायब होती है जबकि ऊपरी हिस्सा सबसे बाद में और दूसरा चंद्रमा का स्पेयर गोल है तो यह संभव है कि पृथ्वी भी गोल ही होगा।
उसके बाद इरेटोस्थनीज ने चार ईसा पूर्व में पृथ्वी की त्रिज्या को मापा इसके लिए उन्होंने यह माना कि पृथ्वी की त्रिज्या 40000 किलोमीटर होगी इसको प्रूफ करने के लिए उन्होंने पृथ्वी की परिधि से वृत्त की त्रिज्या को गुणा किया और यह माना कि पृथ्वी की त्रिज्या 6342 किलोमीटर होगी। ऐसे ही लंबे समय तक ब्रह्मांड की खोज चलती रहे और पृथ्वी और ब्रह्मांड के बारे में नई-नई चीजों के खोज होती रही अनुमान के तौर पर।
गैलीलियो का गैलीलियो दूरबीन
तब आया वह साल जो साइंटिस्टों ने अनुभव किया था उसे देखा जा सकता था सन 1609 महान वैज्ञानिक गैलीलियो को पता चला एक ऐसे दूरबीन के बारे में जिसे ब्रह्मांड के चीजों को साफ तौर पर देखा जा सकता था। लेकिन यह दूरबीन पोलैंड में था गैलीलियो ने पोलैंड में मौजूद दूरबीन से भी स्ट्रांग दूरबीन बनाने का ठान लिया। जब पहली बार गैलीलियो ने ब्रह्मांड में देखा तो पाया कि सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं।
इसके बाद ब्रह्मांड में ढेर सारी चीजों का खोज हुआ और यह भी पता चला कि ब्रह्मांड में क्या-क्या हो रहा है लेकिन फिर एक सवाल मन में आया कि है आखिर यह पृथ्वी ब्रह्मांड में कैसे अटका हुआ है सूर्य का चक्कर पृथ्वी क्यों लग रही है कैसे यह सभी सिस्टम ब्रह्मांड में चल रहा है।
न्यूटन ने ब्रह्मांड में मौजूद गुरुत्वाकर्षण को समझाया
तब सन 1726 में महान वैज्ञानिक इसाक न्यूटन ने जब उनके माथे पर एक सब गिरा। तुम उनको पता चला कि आखिर कोई भी ऊपर फेक भी वस्तु नीचे क्यों गिरती हैं। तब उनको पता चला कि पृथ्वी में कोई एक बाल है जो ऊपर फेंकी हुई वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है। तब खोज हुई गुरुत्वाकर्षण बल की उसके बाद यह सिद्ध हुआ कि ब्रह्मांड में मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही पृथ्वी सूर्य और अन्य चीज ब्रह्मांड में अटकी हुई है।
दोस्तों यहां तक हमें खोज में हमारे सौरमंडल मौजूद ग्रहण और सूर्य की बुद्धि सुला चुकी थी लेकिन जैसे ही अपने सौरमंडल से बाहर नजर गई तो साइंटिस्टों को पता चला कि ब्रह्मांड छोटा नहीं है। ऐसा हो सकता है कि जैसे हमारे सौरमंडल की तरह ही इस ब्रह्मांड में लाखों करोड़ों सौरमंडल मौजूद हो। तब उनके मन में यह सवाल आया कि यह आखिर इतने बड़े ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ होगा और हमारे पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ होगा।
इस कहानी की शुरुआत है मैंने आपको बताया था कि एडमिन हवाल नाम की एक वैज्ञानिक ने जो चार तारों को मेजर कर यह पता लगाया था कि ब्रह्मांड हर समय विस्तारित हो रहा है। इसी आधार पर क्या माना गया कि जब ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तब एक बिंदु में कहीं दो कानों के बीच टकराव हुआ होगा और वहीं से ब्रह्मांड का निर्माण होना शुरू हुआ होगा। जिसे आज बिग बैंग थ्योरी के नाम से जाना जाता है।
तो दोस्तों यह थे ब्रह्मांड के खगोलीय इतिहास और रहस्य अगर इसी तरह के डांस में कहानी आपको पढ़ना पसंद है तो आप टाइम ट्रेवल के बारे में पढ़ सकते हैं। Time Travel is Possible और टाइम ट्रेवल पर न्यूटन की राय क्या थे।