Biography of Sardar Vallabhbhai Patel: सरदार पटेल के जीवनी और भारत के एकीकरण की कहानी

Biography of Sardar Vallabhbhai Patel: सरदार वल्लभभाई पटेल जिसे भारत के लोग लोह पुरुष के नाम से जानते हैं। बहुत कम लोग होंगे जिन्हें इनके जीवन का था और भारत के 500 से अधिक रियासतों यानी कि भारत के एकीकरण की कहानी पता होगी। आज के इस आर्टिकल में हम सरदार वल्लभभाई पटेल बारे में ऐसी ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आपको काफी हैरानी होगी।

Biography of Sardar Vallabhbhai Patel

सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लोग इसलिए जानते हैं क्योंकि उन्होंने भारत का एकीकरण किया था। लेकिन क्या आपको पता है कि सरदार पटेल भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री थे। यही नहीं भारत के आजादी के 3 साल पहले भी भारत के उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राज्य मंत्री और सूचना मंत्री भी बने थे। 500 से अधिक रियासतों का एकीकरण करना भारत की सबसे बड़ी समस्या थी जिसे सरदार पटेल लिए कुशलगढ़ कूटनीति और डांटे के जोड़ पर एक जूट किया।

आपको बता दे कि अगर भारत के इन रियासतों को नहीं जोड़ा जाता तो आज भारत एक देश नहीं बल्कि 500 देश का एक देश होता है। जहां एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए 5 से 6 वीजा लेने की आवश्यकता होती। दोस्तों सरदार पटेल के इसी उपलब्धि के कारण है भारत का लोह पुरुष और बिस्मार्क कहा जाता है। मरणोपरांत सरदार पटेल को साल 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है और साल 2014 से उनके जन्म दिवस पर एकता दिवस मनाया जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के एक छोटी से गांव नाडिया में हुआ था कहां जाता है क्या सरदार पटेल का जन्म लेवा पाटीदार के एक जिम्मेदार पटेल परिवार में हुआ था वे अपने पिता जबर भाई पटेल और माता लालबाई के चौथी संतान थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके बाद भी एक उनकी बहन है जिसके बारे में सभी को पता नहीं होगा। सरदार पटेल के पारिवारिक स्थिति खराब होने के कारण उनकी प्रारंभिक शिक्षा कर्मचारियों और सेकेंडरी शिक्षा पेटलाद से हुई है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने अधिकतर ज्ञान स्वयं अध्ययन से प्राप्त किया है। 16 वर्ष की आयु में झवेरवा नाम की एक महिला से उनकी शादी होती है। 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास कर जिला अधिवक्ता की परीक्षा में सफल होते हैं जिससे उनको वकालत करने की अनुमति मिल जाती है।

सरदार पटेल की राजनीति में कदम

सरदार पटेल वकालत के क्षेत्र में बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त करते हैं और पहली बार वह राजनीतिक में कम महात्मा गांधी से प्रभावित होकर रखते हैं। साल 1917 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन पहली बार सरदार पटेल भाग लेते हैं। इसके बाद उन्हें लगता है कि अब उनके जीवन की दिशा बदल चुकी है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सरदार पटेल गांधी जी के विचारों और आदर्श के खिलाफ थे।

साल 1924 में पहली बार सरदार पटेल कमला नगर के नगर पालिका चुने गए। और उन्हें का के कार्यकाल के दौरान किसान आंदोलन शुरू हुआ था। सरदार पटेल किसान आंदोलन में शामिल होकर इसका नेतृत्व करने लगे। दरअसल भारी बारिश के कारण किसानों की फसल खराब हो गए थे और सरकार ने अनाजों पर 30% का कर बढ़ा दिया था जिसको लेकर महात्मा गांधी और सरदार पटेल आंदोलन कर रहे थे।

आपको बता दे कि इसी दौरान बारडोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि दी थी। सरकार द्वारा किसानों पर लगाए गए कर को 30% से घटकर 6% कर दिया गया। सरदार पटेल के इसी उपलब्धि के लिए सन 1931 में महात्मा गांधी ने भी वल्लभभाई पटेल को सरदार वल्लभभाई पटेल का कर पुकारा था।

सरदार वल्लभभाई पटेल ने कई बड़े आंदोलन में शामिल हुए और कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। आपको बता दे की 1951 के चुनाव में सरदार पटेल भी उम्मीदवार थे लेकिन महात्मा गांधी के दबाव के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया गया। 1947 में देश की आजादी के बाद कांग्रेस समिति सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थी लेकिन महात्मा गांधी के आदर करते हुए सरदार पटेल ने अपना नाम वापस ले लिया और पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनने दिया है।

सरदार पटेल को उसे समय गृह मंत्री चुना गया अब सरदार पटेल के सामने सिर्फ एक ही चुनौती थी भारत के 500 से अधिक रियासतों का एकीकरण करना। आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा लगता है कि महात्मा गांधी को पहले से पता था कि इतने बड़े रियासतों का एकीकरण करना सरदार पटेल के अलावा किसी से संभव नहीं होगा। इसलिए उन्होंने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री के जगह उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री चुना।

भारत का एकीकरण

सन 5 जुलाई 1947 को रियासतों विभाग की स्थापना की गई। एक बार की बात है सरदार पटेल को पता चला कि बस्तर में सोने का खदान मिला है जिसे हैदराबाद की सरकार खरीदना चाहती है। इतना सुनते ही सरदार पटेल अपने झूला और एक दंता लेकर हैदराबाद चल पड़ती है और वहां के निजाम सरकार का से मिलकर कहते हैं कि कुएं के मेंढक मत बनो समुद्र में आ जाओ।

इसके बाद यहां से वे नागपुर जाते हैं और वहां के 38 रियासतों के राजाओं से मिलते हैं। और उन्हें एकजुट होने के लिए प्रस्ताव रखते हैं। ऐसे ही कहीं-कहीं तो 20-20 गांव की ही रियासतें थी जिसमें बहुत कम लोग ही रहते थे। इन सभी छोटे-मोटे रियासतों का एकीकरण करते हुए भी आगे बढ़ते हैं और मुंबई पहुंचते हैं वहां के कई भर राजाओं के रियासतों को एक झूठ करते हैं। ऐसे ही अपनी डंडी के जोर और कूटनीति के द्वारा देश के सभी रियासतों को एक जुट कर लेते हैं।

सरदार पटेल पटेल ही भारत का लोह पुरुष

जिस तरह से जर्मनी का एकीकरण के लिए बिस्मार्क को लोह पुरुष कहा जाता है वैसे ही भारत में भारत की एकीकरण के लिए महात्मा गांधी द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल को बिस्मार्क का उपाधि दिया गया। 15 दिसंबर 1950 भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रमुख नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु हार्ट अटैक से हो जाती है। दोस्तों सरदार पटेल ने जो इस देश के लिए किया वह शायद ही कोई कर पाता। सरदार पटेल कृषि योगदान के लिए उन्हें साल 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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