Biography of Albert Einstein: अल्बर्ट आइंस्टीन दुनिया का सबसे महान साइंटिस्टों में शामिल अल्बर्ट आइंस्टीन 20वीं शदी के कितने महान साइंटिस्ट थे कि उनके अविष्कारों ने दुनिया में विज्ञान जगत के रुख को ही बदल दिया। ब्रह्मांड के समय, गुरुत्वाकर्षण कई ऐसे खोज जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र को विस्तार विस्तार किया है। लेकिन फिर भी आपको जानकर हैरानी होगी कि अल्बर्ट आइंस्टीन हमेशा से ऐसे नहीं थे बचपन में उन्हें एक मंथ बुद्धि बालक के रूप में जाना जाता था।
आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर इतने महान वैज्ञानिक को मंदबुद्धि कैसे कहा जा सकता है। आपके इसी सवाल का जवाब आज के इस आर्टिकल में देने जा रहे हैं। यह आर्टिकल Biography of Albert Einstein उनके संपूर्ण जीवन पर आधारित है अगर आप अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
Biography of Albert Einstein
महान साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1889 को जर्मनी के होली परिवार में हुआ था। उनके माता का नाम पॉलिनिस्टिंग और पिता का नाम हरमन आइंस्टीन था। आइंस्टीन अपने पिता के 13 बच्चों में से सबसे छोटे थे इनका दिमाग और बच्चों से काफी बड़ा था जो इन्हें दूसरे से अलग बनाता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि आइंस्टीन 4 सालों तक कुछ नहीं बोल पाते थे।
लेकिन एक दिन आइंस्टीन के पूरे फैमिली खाने पर बैठे थे तब अचानक से आइंस्टीन ने 4 साल के चुप्पी तोड़ते हुए बोला कि शुप बहुत गर्म है। इस तरह अल्बर्ट आइंस्टीन के कितने साल बाद बोलने में उनके माता-पिता काफी खुश हुए। आपको बता दे की अल्बर्ट आइंस्टीन को अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उन्होंने अपनी एक अलग है दुनिया बना रखे थे जिसमें भी पेड़ पौधों और ब्रह्मांड के बारे में सोचा करते थे। उनके दिमाग में यही चलते रहता था कि आखिर यह दुनिया कैसे चलती है।
अल्बर्ट आइंस्टीन के अंदर साइंस के प्रति रुचि तब बड़ी जब उनके पिता ने एक टाइम पास खरीद कर दिया। जिसे दिशा सूचक यंत्र कहा जाता है। इसे देखकर वह काफी खुश हुए वह कंपास के सैयां को ध्यान से देखते हैं और यह सोचने की कोशिश करते कि आखिर यह हमेशा उत्तर की तरफ ही क्यों रहता है।
बोलने में होने वाले कठिनाइयों के कारण उन्होंने स्कूल काफी देर से जाना शुरू किया था। अपने स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था क्योंकि उन्हें स्कूल जेल की तरह लगती थी। क्योंकि उनके अध्यापकों द्वारा पढ़ाई गई चीज काफी आर्थिक अधूरी हुआ करती थी। क्योंकि वहां किताबी ज्ञान को पढ़ने से ज्यादा रटना सीखते थे। इसीलिए आइंस्टीन अपने अध्यापकों से अजीब-अजीब तरह के प्रश्न पूछा करते थे। यही वजह थी कि आइंस्टीन को मंदबुद्धि बालक बुलाना शुरू कर दिए थे।
आपको जानकर हैरानी होगी के अध्यापकों द्वारा उन्हें बार-बार मंदबुद्धि कहे जाने पर उन्हें भी ऐसा लगने लगा था कि अभी तक उनकी बुद्धि पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है। कभी एक बार उन्होंने अपने एक अध्यापक से पूछा कि मैं अपने बुद्धि का विकास कैसे कर सकता हूं। तब उनके अध्यापक ने कहा कि अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र है।
अध्यापक यह बात आइंस्टीन के मन में घर कर गई और उन्होंने यहां ठान लिया कि 1 दिन मैं सबसे आगे होकर दिखाऊंगा। उनके आगे बढ़ने की इच्छा पर हावी रहने लगे कभी अगर उनका पढ़ने का मन नहीं भी करता तो भी वह किताब को हाथ से नहीं छोड़ते थे। उनके अभ्यास का परिणाम रंग लाया जिसे देखकर उनके अध्यापक भी दंग रह गए। आगे चलकर उन्होंने गणित जैसे जटिल विषय को चुना।
दोस्तों आरती की स्थिति खराब होने की वजह से उनके आगे की पढ़ाई में समस्या उत्पन्न हुई आपको जानकर हैरानी होगी स्टील अपने शौक और मौज पर बहुत कम पैसे खर्च करते थे। ईश्वर उनकी एक बड़ी मजेदार कहानी है जिसे सुनकर आपको भी काफी आश्चार्ज होगा कि अगर इतने बड़े महान साइंटिस्ट ऐसा कैसे सोच सकते हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन के कंजूसी की कहानी
एक दिन की बात है बहुत तेज बारिश हो रही थी और अल्बर्ट आइंस्टीन कहीं से आते हुए अपने हैट को बगल दबा कर चल रहे थे उनके पास छठे नहीं होने की वजह से वह आधे भीग भी गए थे तनु ने रास्ते में एक सज्जन मिले उस सज्जन व्यक्ति ने अल्बर्ट आइंस्टीन से पूछा कि इतनी तेज बारिश हो रही है तुम सिर से अपने सर रखने के बजाय बगल में दवाई चल जा रहे हो क्या तुम्हारा सर इससे भीग नहीं रहा।
इस इस पर अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा कि भीग तो रहा है अगर शरीर भीग रहा है तो यह बाद में सुख जाएगा लेकिन अगर हैट भीग गया तो खराब हो जाएगा और नया हेड खरीदने के लिए ना तो मेरे पास पैसा है और ना ही समय।
मंदबुद्धि बालक से महान साइंटिस्ट बनने की कहानी
दोस्तों आइंस्टीन अपने कठिन परिश्रम और अभ्यास से गणित और विज्ञान जगत में महारत हासिल कर ली। शिक्षा को लेकर आना उनका कहना था कि शिक्षा वही है जो तब तक ही याद रहे जब तक आप सब कुछ भूल गए हो। बदलते समय के साथ वह इतने बुद्धिमान हो गए की ढेर सारे खोज किया। आज की दुनिया उन्हें सापेक्षता के सिद्धांत और ब्रह्मांड के समीकरण E= MC 2 के लिए जानती है।
अल्बर्ट आइंस्टीन के सफेदाबाद के सिद्धांत में है टाइम ट्रेवल जैसे घटना को जड़ से हिला कर रख दिया था। कई बड़े महान साइंटिस्ट को क्षमता यात्रा असंभव लग रहा था लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन का सिर्फ एक अवधारणा ने यह प्रमाणित कर दिया कि आज नहीं तो कल Time Travel is Possible हो जाएगा। अगर आप भी टाइम ट्रेवल से जुड़ी कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं तो इस आर्टिकल को पढ़ सकते हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन को प्रकाश के विद्युत उत्सर्जन की खोज के लिए सन 1921 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी दोस्तों की सन 1952 में अमेरिका ने अल्बर्ट आइंस्टीन को अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का पेस्कस दिया था। लेकिन उन्होंने यह बनने से इनकार।
दोस्तों उन्होंने दिखा दिया कि एक मंदबुद्धि बालक अपनी मेहनत और परिश्रम के दम पर दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकता है। दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टीन इतने महान वैज्ञानिक थे कि वह कठिन से भी कठिन कैलकुलेशन अपने दिमाग में ही कर लेते थे। जॉन के इलाज में किए गए प्रयोग से काफी सटीक होता था। इसलिए आइंस्टीन विश्व सदी का सबसे जीनियस वैज्ञानिक कहां है।